पांच विकारों की प्रवेशता का कारण और निवारण


body concious होने से ही पांच विकारों की प्रवेशता होती है।

आत्मा जब पहले पहले सृष्टि  पर आती है तो किसी का बच्चा बन, किसी के घर में पैदा होती। पहले छोटा शरीर होता है,organs छोटे है,बोल नहीं सकती। धीरे धीरे बोलने लगती है, पार्ट play करने लगती है। कर्म करने लगती है।

छोटा बच्चा तो आत्म अभिमानी,(soul conscious)होता है,फूल होता है।सतोप्रधान होता है।

अबोध (unaware)होता है।उस पर किसी बात का कोई प्रभाव नहीं होता।

जैसे जैसे बड़ा होता है,कर्म में आता है, उसके मन पर दुनिया का प्रभाव पड़ने लगता है।और वह आत्मा अभिमानी (,soul concious)से बदल देह अभिमानीॢ‌(body concious) होने लगता है। और पांच विकारों

 (काम-  lust

क्रोध-Anger

लोभ-Greed

मोह-Attachment

अहंकार-Ego)


 की प्रवेशता उसके अंदर होने लगती है।

और उसके कर्म विकर्म(Negative karma,Sinful actions) बनने शुरू होते हैं।

आत्म अभिमानी स्थिति में जो कर्म करते हैं वे सुकर्म (good deeds, positive karma, Charitable deeds)बनते हैं।

परमात्मा हमें राजयोग के माध्यम से आत्म अभिमानी होना सिखाते हैं और जीवन में रहते, कर्म करते कर्म से न्यारा होना ,हल्का रहना सिखाते है।

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